वो साल
वो साल
कड़कड़ती सर्दी, तेज हवा,सिहरन,
कड़क धूप, कुएँ पर मस्ती, और फितरत आजाद घूमने की,
कुछ पाया ना था, कुछ खोया ना था,
जो कुछ था, बस था,वो साल।
खट्टी मीठी यादें, बारिश की मुलाकातें,
फिसलना, भिगना, छुपना, छुपाना,
वो दिन यादगार रहे मेरे जीवन के,
वो लोग यादगार है मेरे जीवन में, और वो साल।
स्कूल की पढाई बेमतलब की लडाई,
कक्षा में बेठना, किसी के लिए ऐठना,
वो सब जो गुजर गया अब खजाने सा है,
यादों में वो लोग, वो लम्हें, और वो साल है।
वक्त की रफ्तार में खो गये है लम्हें वो।
लोग अपनी दुनिया में जी रहे ज्यों,
लगता है अब मिलना इनसे होगा ना,
जीवन बहता दरिया है जिसमें बह गया साल वो।
हमेशा अच्छी यादों में याद रहेगा मेरे,
जो दिन बिताये मस्ती में वो, और वो साल। ।
- कविता रानी।
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