जिंदगी से जंग जारी है
जिंदगी से जंग जारी है
सपनों की उडान बड़ी भारी है।
कभी इस डगर की कभी उसकी बारी है।
रुक सकना आता नहीं कहीं एक जगह।
जिंदगी से जद्दो-जहद जारी है।।
आसमान सा फैला मन मेरा ।
हवाओं की सवारी करता रहता ।
एक ठोर जमीन नहीं जाने क्यों।
जिंदगी मुस्कुराती नहीं क्यों।।
बातें बहुत सारी आ रही है।
शब्दों पर कलम रूक नहीं पा रही है।
कहना है बहुत कुछ पर।
आजमाईशे इच्छाओं से हारी है।।
एक छोर मिल नहीं रहा मुझे।
एक बात बैठ नहीं रही मुझमें।
कभी इस बात को बनाना चाहूँ।
कभी दुसरी को बनाना चाहूँ। ।
बाकि है साल कई ओर मिसाल कई ।
आजमाता हूँ दिन कई साल कई ।
फिर रहा हूँ रोज मारा-मारा सा।
एक सांसो का लिये चल रहा सहारा सा।।
मंजिल मेरी अभी बाकि है।
खुले आसमान से मुलाक़ात बाकि है।
बादलों में अटका पड़ा हूँ मैं।
और जिंदगी से जद्दोजहत जारी है। ।
कवितारानी 1
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