बारिश की बूँदे
बारिश की बूँदें
भरी तपीस को शांत करती है।
उड़ती धूल को तर करती है।
हवा सी बनकर आती है।
बादल ये कहलाती है।
धरती पर जीवन है ।
सागर का ये जल है।
बारिश की बूँदें ये।
एक खजाने सी है। ।
गर्मी जब चरम पर होती है।
धरा प्यासी होती है।
तालाब,नदियाँ सुख जाते है।
सबको महादेव याद आते है।
सावन की आस आती है।
बारिश की बूँदें याद आती है।
ना कम चाहिए ना ज्यादा।
धरा धाप जाये उतनी आज ।
मन खुश कर जा ।
बारिश की बूँदें, बादलों से बरस जा।
बरस जा।।
कवितारानी1 ।।
143
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें