रह गयें कुछ लम्हें ही
दिन बित गये,और वो वक्त भी।
देख जिसे खुशनसीब होने का अहसास होता है।
निकल गये वो लम्हें भी।।
अब बस यादें हैं ।
कुछ बेमतलब की बातें हैं।
कुछ समझना चहाते है।
अब जैसे भी कटे।
ये वक्त गुजारना चहाते हैं।
लिख दिये कई ,वो खवाब खोये है। ।
जो चुने थे सपने खुली आँख से,
वो सब कहीं सोये है।।
हम जानते है कि हमने क्या खोया,
और कितने हम रोये है। ।
दिन वो बित गये सिमटे हुए,हम।
और रह गये कुछ लम्हे ही।।
Kavitarani1
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