मुझे नहीं पता
मुझे नहीं पता
क्या चाहता हूँ?
क्या चाहिए?
सब है फिर भी गरीब मैं।
कैसा चाहता हूँ?
कैसी चाहत हैं ?
सब पता है फिर भी अनजान मैैं।
खाली हूँ मन से पुरा,
पूरा खाली तन लिये,
मुझे नहीं पता।
क्या चाहता हूँ मैं ।
कैसे कहूँ?
किसे कहूँ?
हूँ उदास मैं।
अनजान इस दुनिया से।
बस चाहू एक मन का मैं।
मुझे नहीं पता कोई मिलेगा या नहीं।
पर हूँ हताशा मैं। ।
-kavitarani1
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