ये फोड़े है
ये फोड़े है
जो बडबोले है, यही ओले है और गोले है,
मेरी राह के, मेरी चाह के, मेरी आह के,
ये छोले है, ये मेरे साथ लटके झोले है। ।
मैं पास जाऊँ या दूर इनके,किनके-गिनके ये सुर जाऊँ।
आऊँ ना फिर लौट के ,घोट के इन्हें पी जाऊँ।
मैं कहता जाऊँ और सहता जाऊँ।
कि यहीं फोड़े है मेरी राह के रोड़े है।
जिन्हें छोड़ा नहीं, जोड़ा नही ना तोड़ा है।
इनकी समझ का ये फोड़ा है कि लग जाना है।
बेमतलब कहते जाना है और गाना है,
जो धुन इन्होंने बनाई है और खुद को सिखाई है।
किसी ने ना चाही है तो सीधे लोगों पर आयी है।
मुझ पर भी अपनाई है और मेरी जिंदगी उलझाई है।
इनसे पहले में खुश था,एकांत में भी शांत था।
इन्हें वो भी रास ना आई है, मेरी परछाई भी चुराई है ।
और कह-कर जाने क्या इन्होंने जान खाई है।
यह मेरी राई है इन्हें देर सै समझ आयी है।
कि यहीं है जिसके सब थोड़े हैं लगा दे इसके रोडे है ।
जलदी इनकी जान ये भी अनजान है,
हैं समझ खुब भरी पड़ इनमें पर बनते नादान है।
ये खुरापान है ये मंद बुद्धि परमाण है।
इनसे मुझे घृणा है, गृणा आती इनके अब,
पर ये साले रोड़े है,समय के साथ मुझसे जोड़े है ।
ये थोड़े है पर मेरे पास रहते फोड़े है। ।
Kavitarani1
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