मेरा मोहल्ला विरान है




मेरा मोहल्ला विरान हैं 


सुना है अब मोहल्ला विरान है। 

जहाँ सुबह से श्याम तक ठहाके लगते थे वो बरगद अब शांत हैं।।


वहाँ बाशिन्दे भी अब परिन्दे बनने को बेताब है। 

सुना है वो किलकारियाँ करते बच्चे जवान है।।


जो बेपरवाह थे जिम्मेदारियों से वो अब कामगार है। 

जो खुद नादान थे जीवन में उनके भी नादान है।।


सुना है मेरा गाँव बदल गया है। 

गिल्ली-डन्दे,पकडमपकडाई,

छुपन छुपाई नागवार है।।


मोबाइल, घर ,बिस्तर, परिवार में बचपन लाचार है। 

सुना है सब पुराने दिन याद करते है ।।


अब मन मुटाव वैसा नहीं कहते है।

सुना है कईयों का जीवन बरबाद है।।


कुछ जीवन की हर गहराई में आम है।

कुछ अपना जीवन काट रहें है।।


सुना है लोग सब भूल गये है।

याद नहीं कुछ किसी को ऐसे उलझ गये है।

यही बस याद है, मेरा मोहल्ला विरान है ।।


Kavitarani1 

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