एकांत में / Akant mein / In loneliness
एकांत में
खयाल बहुत आते हैं,
मन को सताते हैं,
कहता नहीं मैं किसी से,
रहता बस एकांत में।
मुझे भीड बहुत भाती है,
सपनों के शहर ले जाती है,
पर रूठा सा रहे जाता हूँ,
मैं एकांत में खो जाता हूँ।
बरस बीत गये ऐसे रहते,
उम्र कट गई ये कहते,
अब और नहीं रहेना,
एकांत और नहीं जीना।
खाना कम ही भाता है,
मन रूठ ही जाता है,
खुद की भी सुध नहीं रहेती,
एकांत में जिंदगी कुछ नहीं कहती।
बहुत परेशान करती है,
पुरानी यादें आहें भरती है,
जिंदगी अधुरी लगती है,
एकांत में बातें अधूरी लगती है।
मन चुप नहीं रहता है,
अन्दर ही अन्दर कुछ कहता है,
चुभती रहती ख़ामोशी और जिंदगी,
जब रहता हूँ मैं एकांत में।
कुछ कहीं कुछ सुनी बातें एकांत में,
बैठ अकेले बुनी किताब एकांत में। ।
Kavitarani1
15
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें