मैं पथिक अडिग
मैं पथिक अडिग बढता- वीडियो देखे
मैं पथिक अडिग
मैं पथिक अडिग बढता हूँ ।।
रोज नई बाधाओं से लङता हूँ ।।
कभी बादलों से उलझता हूँ ।
कभी हवाओं से उलझता हूँ ।
कभी राह पर रोड़े पाता हूँ ।
कभी धरातल खोया पाता हूँ ।
मैं पथिक अडिग बढता हूँ ।।
कभी राहगीर नये अपनाता हूँ ।
कभी विचलित हो उन्हे भगाता हूँ ।
कभी अनायास लोग भटकाते हैं ।
मैं भटकता और फिर राह पर आ जाता हूँ ।
मैं पथिक अडिग चलता हूँ।।
मंजिल मेरी ऊँची हैं ।
राहें मेरी मुश्किल है ।
तन का बोझ समझता हूँ ।
मन का मोज समझता हूँ ।
हिम्मत बनाये रखता हूँ ।
मैं लक्ष्य पर नजर रखता हूँ ।
मैं पथिक अडिग बढता हूँ ।।
टोकने वाले आने है तो आयेंगे ।
पर रोकने वाले रोक ना पायेंगे ।
पथ कठोर और दुर्गम कर जायेंगे ।
पर रोक मुझे ना पायेंगे ।
क्योंकि मैं मन मौजी हूँ।
मैं पथिक लक्ष्य पर अडिग हूँ ।
मैं पथ पर अडिग बढ़ता हूँ ।।
Kavitarani1
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