मैं तुम्हारे लिये लिखना चाहूँ
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मैं तुम्हारे लिये लिखना चाहूँ
मैं तुम्हारे लिये कुछ लिखना चाहूँ ।
जुड़ा तुमसे किस कदर बताना चाहूँ।
मैं तुम्हारे लिये कुछ नगमें बनाँऊ।।
हाँ ये आसानी से कर सकता हूँ मैं।
दिल से निकले शब्दों को सीधे लिख सकता हूँ मैं।
तुमसे जुड़ाव भी तो गहरा है।
कहीं छुपे रह कर मेरे एकांत पर तुम्हारा पहरा है।
मैं अपने लम्हें तुम्हारे नाम करना चाहूँ।
मैं तुम्हारे साथ जीना चाहूँ। ।
बड़ वजन होता शब्दों में।
दिल के कई भाव होते हैं इनमें।
मैं अपने दिल के भावों को तुम्हारे लिए कहना चाहूँ।
हाँ मैं कभी-कभी ज्यादा सोचता हूँ।
मैं हर सोंच को तुम्हारे लिये लिखना चाहूँ। ।
Kavitarani1
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