खुण याद राख् | khun yad rakh | who remember
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खुण याद राख
परिवार भुल्यो, समाज भुल्यो, दोस्ताई अब नी ह याद ।
बेमतलब कोई याद नी दिलाव, दुर बैठ्यो खुण रख याद ।।
दौड़-दौड़ काम करयो, बुलाबा प भाग्यो गयो- दियो साथ ।
राता जाग जाग काम आयो, अब दुर पड़यो खुण रख याद ।।
बार-त्योहार, शादी म काम प पहलो आतो जी को नाम ।
याद ह अब बुलाबो मेंगो पड़ तो खुण रख याद ।।
दुर-दराज यात्रा प ग्या, मौज मस्ती म म्ह जो आग था ।
अब नया लोग मिल ग्या तो पुराणा ही खुण रख याद ।।
सब मतलब तक साथ था, अब मतलब की भी नी री बात ।
काम-धाम सबका चाल रया, खुण असा म रख याद ।।
घर परिवार दिखावा सारा, मन का प्रेम अब भर्या बजार ।
साफ मन स बकोल चाव, म्हे साफ मन खुण रख याद ।।
खैत खलियाण जोत म काम आव मोटियार ।
म्ह पुराणा बूढ़ा सा म्हाई खुण रख याद ।।
कट री वा की भी, कट री म्हा की भी ।
अपना जमाना म खुश सब, खुण बेवजह रख याद।।
Kavitarani1
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