मैं आज बेहतर जीने की सोंचता हूँ | Mein behatar jeene ki sochta hun
मै आज बेहतर जीने की सोंचता हूँ- वीडियो देखे
मैं आज बेहतर जीने की सोंचता हूँ
एक मासुम सी सुरत थी, नादानियाँ थी ।
फिर हम बढ़े हुए वो चेहरा कहीं खो गया
और नादानियाँ भी।
अब हम एक सुरत लिये है और परेशानियाँ ।
कई सारी खुशियाँ और कहीं सारी कमियाँ ।
ना वो कल रहा ना वो बातें ।
ना ये आज रहेगा ना आज की बातें ।
फिर क्यूँ सोंचे इतना और क्यों उलझे रहे वही ।
क्यों सोंचे है कैसे और दिख रहें कैसे ।
छोड़ सारी बातों को दूर कर खुद से लड़ना है ।
अपनी कमियों को दूर कर खूद से लड़ना है ।
वो कल अंत हो जाये तो भूला उसका ।
नहीं तो कल एक मुकाम होगा नया ।
नई सोंच नई उमंगो को लेकर ।
चलता हूँ होंसलो को खुद ढोकर ।
अपना एक नया आशियाना मांगा है ।
ख़ुद से एक नया जमाना मांगा है ।
अब कल की फिक्र छोड़ दी मैंने ।
एक कल को सोंच से चलता हूँ मैं ।
मैं आज बेहतर जीने की सोंचता हूँ ।
मैं आज बेहतर जीने की सोंचता हूँ ।।
Kavitarani1
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