कह, हाँ मैं तेरी हां | mein teri han



कह,हाँ मैं तेरी हां 


हॅसी तेरी बच्चों वर की ।

सोनी तु मेरी हीर वर की ।

मैं कहता रवां तु मेरी है ।

तु भी कह मैं तेरी हाँ ।।


कसौटी अपनी टाॅम-जैरी सी ।

बातें अपनी खट्टी मिठ्ठी सी ।

मैं हरदम तुझे अपना कहता रहा ।

तु भी कभी अपना कह ।।


कुछ ख्वाहिशां मन आयी है ।

मैं चाँद बनां, तुझे चाँदनी में चाहा है ।

फुल बना मैं तु खुशबु बन जा ।

मेरी काया में लहु सा घुल जा ।।


कुछ सपने तुझसे जोड़े हैं । 

महलां में तुझे गुड़िया सा सजावा मैं ।

आसमां से सारे तारे चुनरी विच लावां ।

जो तु मेरी कह जा, नये नगमें सुनावां ।।


तेरे फुलां नी तारिफें करा ।

तेरे गांला नूं चुमता रवां ।

तेरे गले का हार बना ।

ये जीवन जो तेरे नाम करां ।।


मेरे मन की जरा सुन जा ।

जो चाहा बेइतंहा तो तुझे चुनां ।

मैं हर दम तुझे जो अपनी कहां ।

तो तु भी कह हाँ मेरी तेरी हां ।।


Kavitarani1 

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