तुम जाओ | Tum jao | You go
तुम जाओ
अभी कल की बात है, हम दोस्त बने थे।
अपनी बातें हुई थी, कुछ किस्से हुए थे।
अभी कल ही कि बात है तुम्हे मैं नहीं भाता।
अचानक सब बना बनाया बिगड़ जाता।
अभी कल ही की ये बात है।।
तुम्हें जाना है जाओ।
हँसना है गाना है गाओ ।
जो चाहे वो करना तुम।
पर ऐसे ना कसना तुम।
कि मेरी जान अटकी रहे।
और तेरी सुरत मेरे चारों और भटकती रहे ।
कई किस्से बने है।
कई कहानियाँ जुड़ी।
नादान मन हूँ इसीलिये।
सब अधुरी ही रही है।
ये भी अधुरी रह जाने दो।
जो मेरे बस का है।
मुझे गाने दो।
मन भर गया ना तुम्हारा।
जाना है तो जाओ।।
कोई शिकवा नहीं शिकायत नहीं।
ये कोई तेरी जुदाई की आयत नहीं।
मन हल्का करता हूँ, मैं लिखता हूँ।
किसी के जाने का अहसास रहता है।
बीता जमाना इसे पढ़ कर ही याद रहता है।
तुम अपनी दुनिया बसाओ।
तुम्हे जाना है 'तुम जाओ' ।।
Kavitarani1
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