जो मर चुके है | jo mar chuke hain
जो मर चुके है
सोंचना जिनका बंद हो चुका।
अंदर से जले पड़ है जो।
जिनको फर्क नहीं पड़ता मेरे होने से।
जो मर चुके है पूरी तरह से वो।।
कैसे समझाऊँ उन्हें जिनमें दिल नहीं अब।
भाव खो चुके है जो, कैसे मनाऊं उन्हें मैं।
मेरी खुशी छिन कर हॅसने की कहते।
मेरी बहती आखों से जिन्हें फ़र्क नहीं पडता।।
जो मर चुके मेरे लिये कब के,
कैसे जिन्दा देख पाऊँ मैं।
कैसे अपनी बात समझाऊँ मैं।
जो मर चुके मेरे लिए,
उन्हें क्या ही बताऊँ मैं।।
Kavitarani1
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