ये बदलाव नया है | Ye badlav nya hai
ये बदलाव नया है
रात नई है,
पर अंधेरा पहचाना लगता है ।
भरी बारिश में,
बादल पुराना लगता है ।
खिले है फुल नये बगीया में आज,
हरियाली की चादर छाई है ।।
मौसम में बहती सर्द बयार,
कुछ मेरे यार सी लगती है ।
कहने को है ये ॠतु नई,
पर मनाये इसके पर्वो की ॠतु पुरानी लगती है ।।
ये पत्तियाँ हो भले नई,
पर टहनियाँ पुरानी लगती है ।
हो खिले फुल नये,
पर बगीया पुरानी लगती है ।
हो मौसम बदला हुआ पर जमीं पहचानी लगती है ।।
थी जल रही अब तर हो गई ।
सर्द हवाओं से निकल अब सुहावनी हो गई ।
थी दास्तानें सारी गम भरी,
अब खुशनुमा हुई ।
सारी बातें पुरानी,
अब यादें नई हुई ।
बित गई जो बित गई अब बात नई है ।
रात नई है ये,
ये बरसात नई है ।
तर होती जमीन के फुल नये है,
ये निशान नयी है ।
सब नया है तो बात नयी है ।।
Kavitarani1
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