ये जो जग कहे | Ye jo jag kahe
ये जो जग कहे
ये जो वफा की बातें, दुनिया सिखाती है मुझे ।
खुद कोई अमल कर ले, सुधर जाये सब गीले ।।
साथ कोई खड़ ना होता, साथ देने की करता बातें ।
याद कोई अपनी ना रखता, करता याद मेरी बातें ।।
याद ना रखा मेरा संघर्ष, मेरे हर्ष पर खिझे मुझे ।
बातें कर -कर, कहते है संघर्षी मुझे ।।
ये जो समझ की बातें, दुनिया सिखाती मुझे ।
खुद कुछ समझ ले तो, सुधर जाये सबकी रातें ।।
खुन से सींच- सींच, बगीचा हरा किया ।
माली ने मर - मर, जग को सहेज लिया ।।
आकर मालिक बैठे, ठहाके लगाये जो है सूल लिये ।
अनदेखा कर सब, भूल माली को; ऐंठे ।।
याद करे ना ध्यान धरे, है जग कैसा मतलब लिये ।
बैठा खुश है देख, आस - पास के फुल खिले ।।
ये वफा की बातें करे, जीये बस स्वार्थ लिये ।
ये जो खुद की कहे, ये ना किसी की सुने ।।
Kavitarani1
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