इकत्तीस साल | 31 | thirty one


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 इकत्तीस साल 


सांसो का आना जाना वही है ।

दिन का ढलना वही है ।

वही शामें सूर्यास्त दिखाती हुई ।

वही सुबह सूर्योदय लाती हुई ।

पर मैं बदल गया हूँ ।

अब इकत्तीस का हो गया हूँ ।।


अब मैं नये दशक को जी रहा हूँ ।

अब मैं नये सपने बुन रहा हूँ ।

पर अभी भी मैं अकेला हूँ । 

 अभी भी अपने खास की तलाश में हूँ ।

अभी भी अपनी प्यास में हूँ ।

अभी भी मैं होंस में हूँ ।

दुःखो का आना पहले से कम है ।

जो दशक तक जीये वो दिन कम है ।

कम ही है लोगों से मैल जोल मेरा ।

कम ही है लोगों पर भरोसा मेरा ।

पर अब भी मेरे भरोसे के बाकि है ।

वो मेरे खाश अभी तक बीस में है ।

और अब मैं इकत्तीस में हूँ ।

अब मैं इकत्तीस का हो गया हूँ ।।


हाँ उम्र का ही तो सवाल है ।

ढलती जाने पर ही तो बवाल है ।

पर अभी भी मैं अपने स्टाफ में जवान हूँ ।

हरकतों से नादान ही हूँ ।

समझ अभी भी आनी बाकि है ।

लोगों में कोई सानी बाकि है ।

बाकि है  साल कई मेरे ।

कई ख्वाहिशें पूरी करनी बाकि है ।

आज भी मैं पहले सा लिखता हूँ ।

आज भी मैं पहले सा लिखता हूँ ।

गम छुपाने को किस्से गढ़ता हूँ ।

सिरीयस हुआ नहीं उसके बाद कभी ।

एक किस्सा ही समझने को काफी है ।

बताने को जीवन सफर मेरे तीस है ।

सुनाने को संघंर्ष मेरे बहाने बीस है ।

बताने को अपने बस एक रीस है  ।

और अब उम्र मेरी इकत्तीस है ।।


सुनाऊँ किसे क्या पाया है ।

बताऊँ क्या ! क्या खोया है ।

पास मेरे अभी भी कुछ नहीं हैं ।

कहने को दुनिया में मेरा नसीब है ।

खुश होके लोग राज पुछते खुशी का ।

रोने पर आस - पास बस, मेरा कौन है ?

एक दोस्त सा पडौसी है ।

दो बहने सुनती रहती है ।

एक हमेशा मेरे पक्ष के साथ है ।

एक हमेशा मेरे मां सी साथ है ।

एक दादाजी - दादीजी है ।

और मन में आस है ।

और मेरी तन्हाई है ।

और बताने को मेरी उम्र जो अब इकत्तीस है ।

हाँ आज के बाद मेरी उम्र इकत्तीस है ।।


Kavitarani1 

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