बस तेरी आस है | Bas Teri Aas hai
बस तेरी आस है
फिर नई दुआओं ने हाथ फैलायें है ।
बिती बातें पुरानी हुई, ये आज की कहानी है ।
याद करूँ शुरू से तो हर दौर में ऐसा होता है,
बचपन में पास होने से शुरू होकर,
प्यार पाने की कोशिशों में भी मन रोता है ।
वो दौर नौकरी की मन्नतो का भी आया है,
और फिर घर वाली के लिये मन जाग आया है,
आगे चलकर मकान की आस पायी है,
और किलकारियों की बारी आयी है,
हर बार अंतिम इच्छा सा लगता आया है,
पर मन पर बोझ सब बन आया है ।
फिर मिन्नतों और दुआओं में याद किया है ।
मैंने ईश्वर को हमेशा याद किया है ।
और आशीर्वाद उनका, कृपा भी पाई है ।
सारी मुश्किलें सामने और मेरी तरफ खुदाई है ।
मेरे ईश्वर को मैं फिर में याद करता हूँ ।
फिर नई दुआओं कि बात करता हूँ,
आशीर्वाद की दरखास्त है,
मेरे ईश्वर सुन ले ये मेरी आस है,
नई दरखास्त है बस तेरी आस है ।।
Kavitarani1
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