बावरी रैना | Bavari raina


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बावरी रैना 


ओ बावरी रैना, ढुब जा तू।

ओ बावरी रैना, ढुब जा तू।

रोशनी ढुबी दिन ढल गया है,

चाँदनी गयी मावस चढ़ गया है।

चढ़ गयी है नींदिया माथे।

माथे बिंदिया अढ़ गई है।

रुकी जाये सांसे, जो तू चल रही है।।


ओ बावरी रैना, ढूब जा तू।

सो जाये नैना, जो ढूब जा तू।

बिती विभावरी जाग री मैं सोते जागते,

करवटों में कट रही रात ताकते।

तके जाँऊ रैना, जागे जो तू।

चली जा बावरी, ढूब जा तू।

संध्या ढूबी वैसे ढूब जा तू।

ओ बावरी रैना, ढूब जा तू।।

वैरी पिया ने अँखिया खोली,

माथे बिंदिया लायी, ओढ़ी माथे।

साथ है ना कोई, नैना रोते।

रोती जाये अंखिया, रतिया निहारे।

सितारों की सेज सजाये दिन सा रात कटे।

ढुब गया है चाँद, तू ढुब जा रे।

भौर आने दे, तू भी जा रे।

भौर आने दे, तू भी जा रे।

जा ढुब जा रतियाँ भौर बुलाये।

ओ बावरी रैना, तू ढुब जा रे।।


- kavitarani1 

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