कोहरे तू हट जा | kohare tu hat ja
कोहरे तू हट जा
तप-तप धूप दिन चढ्या।
तप-तप अलाप शाम घडया।
रातां न दब रजाई घङया कटिया।
वहीं भौर ने कोहरा ढकया।
कोहरा तू हट जा रे।
बावरे नैना राह तके।
कोहरे तू हट जा रे।।
म्हारे पिया ने बुलावे पुरवाईयाँ।
मैं देखूँ दिन भर रतियाँ।
छाया सुबह सुं तू बेरिया।
कोहरे तू हट जा रे।
बावरी नजरां मई कोसे।
कोहरे तू हट जा रे।।
राह ने ढके तू, दिखे ना रास्ता।
आवे कोई ले संदेशा रे।
सर्दी ने जीव लियो।
लियो जीव एक प्रेम रसिया।
जप-जप नाम जिवङा तङपे रे।
तङपे ठण्ड से काया रे।
तप-तप दिन शाम,
कटे रात सोंच सुबह रे।
देख-देख राह दिन बिते।
ढकी कोहरे में राह मन तङपे।
कोहरे तू हट जा रे।
बावरे नैना राह तके।
कोहरे तू हट जा रे।।
- kavitarani1
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें