कोई बने ढोर | koi bane dor




 कोई बने ढोर 


कोई बने डोर मेरी, मैं पतंग बन उड़ जाऊँगा ।

दूर गगन तक जाके, मैं हवा पर लहराऊगाँ ।

हवा का रूख का पता लगाके, मैं सबसे आगे जाऊगाँ ।

जो डील देगा कोई, मैं सबसे जीत जाऊगाँ ।

कोई बने डोर मेरी, मैं सबसे लड़ जाऊगाँ ।

नई ऊँचाई  छुकर, मैं सबको काट गिराऊगाँ ।

जो थामें रखे मेरी सांसे, मैं उड़ता ही जाऊगाँ। 

सब लोग देखे मुझको, मैं ढौर तेरी गाऊगाँ ।

अपने जीवन का नाम करके, उड़ाने वाले को दोहराऊगाँ ।

कोई मिले उड़ाने वाला, मैं दूर तक उड़ जाऊगाँ ।

बिना थके दूर गगन जाके, अपना परचम लहराऊगाँ ।

कोई बने ढोर मेरी, साहस से उड़ता जाऊगाँ ।

हवा को चीरते हुए मैं, आसमान पर लहराऊगाँ ।

कोई काटे ना डोर मेरी, मजबुत बन उड़ता जाऊगाँ ।

आसमान का परिंदा निर्जीव, मैं आसमान से गिर जाऊगाँ ।

कोई छोड़े ना डोर मेरी, मैं तब तक उड़ता जाऊगाँ  ।

खिचें जो ढोर मेरी, तो ही निचे आऊगाँ ।।

कोई बने डोर मेरी, मैं आसमान पर जाऊगाँ  ।

खुली पतंग बन, मैं आसमान पर छाऊगाँ ।।

Kavitarani1 

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