साल मेरे | Saal mere
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साल मेरे
घटते हैं या बढ़ते हैं ।
ये साल कैसे गिनते हैं ।
मैं रोज - रोज कर दिन गिनूं ।
और महिनों में साल चुनूँ ।।
गिनने से होता क्या ।
पता नहीं उम्र घटती है या बढ़ती ।
सारे एक - एक कर इकत्तीस हुए ।
साल जीवन के पार तीस हुए ।।
कैसे इनका बखान करूँ ।
मैं साल घटाऊँ या जोड़ करूँ ।
अपने दिनों का मैं क्या तोड़ करूँ ।
अपने सालों का मैं क्या मोल करूँ ।।
बढ़ते - घढ़ते है ,उम्र में साल कैसे जुड़ते है ।
सवाल यही आता है ।
कभी मन घबराता तो ,
कभी मन खुश होता जाता है ।।
अब बच्चा नही तो ,
युवा कहूँ या बूढ़ा कहूँ ।
यहीं सोंच सवाल है ।
दिन जैसे कटते है ।
साल जैसे कटते है ।
ये साल इकत्तीस मेरे ।
गटते है या बढ़ते है ।।
Kavitarani1
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