स्वयं से | Swayam se
स्वयं से.
कोई स्वयं से कैसे भाग सकता है ।
कैसे कोई अपने आप को भूला सकता है ।
यदि कोई ऐसा कहता भी है,
या बताता है,
कि वो अपने आप में नहीं,
तो वो मजबुर है ।
या वो विचलित है ।।
पागल को तो कुछ याद नहीं रख पाता,
बोल नहीं पाता,
ना ही जी पाता है,
तो वो पागल तो नहीं ।
हाँ वो खुद में उलझा है ।
अपने और अपनों में उलझा है ।
वो अपने मन की नहीं कर पा रहा है ।
वो कहने को आजाद है,
पर बदिशो में है ।।
पंख है, उड़ान है,
पर स्वच्छंद राहें नहीं है ।
एक मार्ग है जो दुनिया के हिसाब का है ।
बस उसी पर चलना है, वही करना है ।
फिर जब मन आवाज करता है,
तो संघर्ष होता है,
और फिर मन को मारना,
और मन कहाँ मरता है,
ये तो तन के साथ है ।
फिर यहीं से ये बातें आती है,
'मैं अपने आप से भाग रहा हूँ।'
'करना चाहता हूँ बहुत कुछ कर नहीं पा रहा हूँ ।'
मैं अपने आप भुलाने की कोशिश कर रहा हूँ ।'
और ये कार्य दुनिया के कठिनतम कार्यो में से एक है ।
कोई स्वयं से कैसे भाग सकता है ।।
Kavitarani1
214
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें