ये कैसा बोझ मनका | ye bojh mere man ka



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 ये कैसा बोझ मन का।


ध्यान-ध्वस्त-धरा-अस्थिर ,

ऊसर-ऊर्जा-उपेक्षित-क्षीर ।

पीर-पराई-पावस-बन ,

बरसी-बरखा-सावन-जन ।

तन-तांडव-तरसे-तरस ,

मन-मानव-माने-मनस ।

कोस-कोष-कोप-कोपित ,

रोस-रोज-रोके-रोपित ।

आतंक-अंतर्मन-अंतहीन-आये ,

अचरज-अजर-अमर-डराए ।

भाव-भाग-अभागे-भान,

मन-मानव-बन अनजान। 

कर्म-धर्म-मर्म-मारे,

तीर-तीज-तीर-हारे।

ये कैसा जाल शब्द का,

ये कैसा बोझ मन का।।


- Kavitarani1 



 

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