छु कर तुझे | chhu kar tujhe
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छु कर तुझे
समेट बैठा था अब तक जो,
वही बात हो गई।
आँखो की मस्ती अब,
सरे आम हो गई।
पास आई मेरे तुम,
थोड़ी सी खास हो गई।
छुआ तुम्हे जो,
एक सनसनाहट हो गई।
ठहरा कुछ पल और,
धड़कने तेज हो गई।
आँखे नशे में बंद और,
मदहोशी छा गई।
मदहोश सा हुआ मैं,
और मदहोश रात हो गई।
छुकर तुझे आज तो,
ये काया नई हो गई।
रूह की बात अब,
रूह तक हो गई।
आज लगा मुझे की,
नयी कहानी शुरू हो गई।
नये अहसास मिले,
नयी चाह हो गयी।
छुकर तुझे लगा मुझे,
सनसनाहट हो गई।
छुकर तुझे,
नई आहट है गई।।
Kavitarani1
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