कट जाने है दिन, cut jane hai din
कट जाने है दिन
ढलती जाती उम्र ऐसे, जैसे बहता नदियाँ का पानी ।
बढ़ती जा रही यादें, जैसे फैला सागर का पानी ।।
दूर - दूर तक दिखता नहीं, दिखता ना कोई छोर ।
ठोर ढूंढ रहा हूँ जग मैं, मिलता ना कोई ठोर ।।
कट जाने है दिन महिने, कट जानी है जिन्दगी ।
कहते रहते, सुनते - रहते, होनी क्या कहानी ।।
ऐसे रह - रह अकेला रहा ना बाकि ।
कट जाने है साल सारे, कट जाने है दिन ।।
रह जाने है किस्से सारे, और हिस्से मेरे ये दिन ।
याद करूगाँ बैठ अकेले, कहता रहूगाँ ये बाते गीन गीन ।।
सपनों में होंगी बाते फिर, सपनों में ये दिन ।
यादों में होंगे किस्से सारे, यादों में होंगे ये दिन ।।
कभी - कभी तो मुश्किल था, कभी मौज थी दिवानी ।
कभी अपनी ही थी जिन्दगी, कभी रही बेगानी ।।
आते - जाते लोग मिले, मिले अनजाने कई ।
कुछ ही अब साथ रहे, बाकि रह गये सयाने कई ।।
भूल गया मैं दिन सारे, भूल गया बातें ।
यादों में जो था बाकि रहा, रह गयी किस्सों की यादें ।।
यादों के पल याद करते जाएंगे ।
जैसे कट गयी उम्र ये, दिन ये कट जाएंगे ।।
कट जाने है दिन ये सारे, कट जानी है यादें ।
रह जानी है उम्र भर की, बातें और फिर यादें ।।
कट जानें है दिन ये सारे, कट जानी है यादें ।
रह जानी है बातें और मेरी यादें ।।
Kavitarani1
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