जो तु नहीं | Jo tum nhi
जो तु नहीं
अकेला हूँ कब से मैं, पर जो तुम रहे पास तो रहा अकेला नहीं ।
रहा हूँ उदास अक्सर मैं, पर तुम जो रहे साथ रहा उदास नहीं ।।
खोया रहा कब से मैं, पर दिखे जो तुम तो कभी सोया नहीं ।
अधुरा रहा हूँ कब से मैं, पर जो है तुम आये पास रहा अकेला नहीं ।।
तेरी याद आती है,
मुझे सताती हैं ।
सपनों के शहर ले जाकर मुझे,
मुझे ख्वाबों में ले जाती है ।
तेरी सूरत दिखती है ।
तु ही तु जचती है ।
देखूँ जिधर तु दिखती ।
सोचूँ तुझे और तु याद आती है ।।
खुश रहता हूँ मैं, पर जो तु नहीं जो खुश नहीं ।
हँसता रहता हूँ मैं, पर जो तु नहीं तो मुस्कान नहीं ।।
मस्त रहता हूँ मैं, पर जो तु नहीं तो मौज नहीं ।
व्यस्त रहता हूँ मैं, पर जो तु नहीं तो कर्म नहीं ।।
तेरी बातें अक्सर होती है ।
हर किसी से बहस यही होती है ।
चेहरा हर तुझसा दिखता है ।
मैं हँसता हूँ तो वो भी हँसता है ।
कहूँ कुछ उसे तो ।
तेरी ही बातें लगती है ।।
शांत सा लगता हूँ मैं, पर जो तु नहीं तो मन शांत नहीं ।
प्रशांत सा लगता हूँ मैं, पर जो तु नहीं तो कुछ नहीं ।।
सब कुछ अच्छा लगता है, पर जो तु नहीं तो कुछ नहीं ।
सब कुछ अच्छा होता है, पर तु नहीं तो कुछ अच्छा नहीं ।।
Kavitarani1
116
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें