मैं समझा ना / main samjha na

 


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मैं समझा ना 


फिर एक चिर परिचित से बात हुई, 

अपने अकेलेपन से मुलाकात हुई, 

वो बात लड़की से थी,

और वही मैं समझ ना सका।


अपने ही दुःखो से भरा पड़ा, 

उसके दुखो को सुन रहा,

टाइप करते मन नहीं रहा,

बात करने को कहा बात हुई, 

पूनम रात चाँदनी सोम्य सी ही थी,

फिर अचानक धूप खिली,

और फिर अचानक बरसात हुई।

मैं समझ ना सका,

कैसे इतनी जल्दी ये करवट हुई, 

आँख खुली और नम थी,

सपने की अच्छी बात हुई। 

अपने ही मन का उपजा रस लेकर।

जहर की घूट हुई।

कङवाहट से स्वाद बिगङा,

मिठास झट से गायब हुई।।


Kavitarani1 

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