आ जाओ तुम / Aa jao tum
आ जाओ तुम
कितने साल बित गये,
तुम ना आये मिलने को ।
कितने मौसम गुजर गये,
तुम ना आये पुछने को ।।
हाल मेरा छोड़ो तुम,
अपने हाल बताओ तुम ।
कब आ रहे हो मिलने को,
इतना सा कह जाओ तुम ।।
मेरी बारिशें अधूरी रह जाती है,
मेरी बसंत कही खो जाती है,
मेरे पतझड़ खत्म नहीं होते,
मेरे जाड़े नहीं मिटते ।।
कैसे-कैसे समझाऊँ मैं,
कैसे-कैसे मनाऊँ मैं,
मेरा मन बैरी बना बैठा,
तेरे मिलने की जिद पर है ऐठा ।।
सारे सपनें मेरे अनछुए है,
सारी ख्वाहिशें सहेजी हुई है ।
वो मखमली बिस्तर महका हुआ है,
वो रास्ते ताजा फूलों से सजें हैं ।।
मेरा महल खाली पड़ा है,
मेरा मन एकान्तवासी है ।
आहट किसी की होने ना दी है,
तेरा जब से इंतजार हुआ है ।।
इन सब पर ध्यान लगाओ तुम ।
मेरी बाहों को सजाओ तुम ।
जीवन के वीराने को दुर करो ।
जहाँ भी हो आ जाओ तुम ।।
मेरी प्यास खत्म नहीं होती ।
भुख मेरी मिटी नहीं ।
एक आस जो मिटी नहीं ।
एक चाह जो मिटी नहीं ।
अब तो आ जाओ तुम ।
अब तो मिल जाओ तुम ।।
Kavitarani1
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