अब बातें नहीं, Ab bate nhi
Ab batein nhi - click here to see video
अब बातें नहीं
सारे दिन की अपनी बातें,
मुलाकातें और किस्से कहता ।
अपना मान तुम्हें अपने पल-पल की कहता ।
सबसे दुर मन भाने तक तुमने सुना ।
मन भर जाने पर या,
नई खुशियों के दस्तक पर कहा ।
जो होता-होने दो,
"मुझे क्यों कहते हो ?"
अपनी जिन्दगी जीओ मुझे क्यो लेते हो ।
अपनी राहें जुदा - जुदा अन्दाज और उम्र पता ।
सब जान मन भाने तक देता था बता ।
अब कहा की क्यों कहते हो ?
समझ रहा सुनने को नहीं चाहते हो ।
तो अब से अपनी बातें ना कहुगाँ ।
ना कोई किस्सा ना हाल कहुगाँ ।
फिर कोई बात ना होगी कहने को ।
कहुँ क्या और क्या रहा कहने को ।
कहना ना फिर कभी कोई पास ना रहे तो ।
अपनापन लगे ना और लगे ना मन तो ।
मैं भाव नहीं खा रहा बात मान रहा ।
बस देखी दुनिया अब समय गुजार रहा ।
देखे रंग और लड़कियाँ कई ।
तुम मैं भी आती अदायें वो कोई अचरज नहीं ।
आज से अपनी स्वीट टाॅक नहीं ।
बातें अब कम ही होगी और बस जवाब है ।।
Kavitarani1
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