अब / Ab / Now
अब
अगर लिखी है तन्हाई, तो बता दे मुझे,
यूँ दर-दर भटक कर थक गया हूँ मैं ।
बहुत पुछते है लोग मेरी पसंद के बारे में,
सबको समझा समझा कर थक गया हूँ मैं ।
लोग देखते है मुझे और मेरी हालत को,
सबको बताऊँ ऐसे दर्द छुपा चुका हूँ मैं ।
बताने को नहीं ज्यादा कुछ मेरे पास,
बस जो है बोझ उठा रहा हूँ मैं ।
अगर करम मेरे ये हि है तो बता दे,
सपने देखना छोड़ दूँ मैं ।
नहीं हैं खुशियाँ मेरे हिस्से में तो,
दुख में जीना सिख लूं मैं ।
लोग तंज कसते है, मेरी उम्र भी,
सबको बतानें जैसे हालतों मैं नहीं हूँ मैं ।
आजाद हूँ भले आज मैं,
पर मन से कैसे जी रहा हूँ मैं ।
अगर यही है मेरी किस्मत में,
तो दे दे यही हक से जीने कि हिम्मत मुझे ।
दब कर रहने लगा हूँ मैं,
कोई कर्ज बाकि रहा नहीं है ।।
Kavitarani1
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