बेवक्त त्योहार | Bewaqt tyohar
Bewaqt Tyohar - kavita by Kavitarani1, see here
बेवक्त त्योहार
वक्त, बेवक्त त्योहार आते रहे ।
खेलते जग में हम बैठे रहे ।
मन के बोझ तले सोंचते रहे ।
क्यों वीरानों में हम रहे ।
क्यों कहीं किसी को गले लगाया ।
जो पास आया क्यों ना उसे पाया ।
क्यों दूर जग से बने रहे ।
क्यों अपनी जिद पर अड़े रहे ।
वक्त, बेवक्त, बेअसर हम रहे ।
जख्म अपने खुद ही खुरेचते रहे ।
सोंचते रहे कोई आये खुशियाँ ले ।
सोंचते रहे सब अब बदलेगा ।
कोई आयेगा मुठ्ठी भर गुलाल ले ।
रंग देगा मुझे अपने रंग ।
बस यही ख्वाब सजाये रहे ।
बैठ अकेले निहारते रहे ।
वक्त, बेवक्त त्योहार जाते रहे ।
हम बेरंग बैठे रहे ।।
Kavitarani1
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