जब तुम साथ होगी, Jab tum sath hogi



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जब तुम साथ होगी 


कोरी थी कोरी ही रह गयी कल्पना मेरी ।

गौरी थी, भौर ही रह गयी कल्पना तेरी ।।

फिर सोंच रहे फिर सुबह होगी ।

आनन्द की बहती दरिया होगी ।

प्रेम की तुम मेरे जरिया होगी ।

जब तुम मेरे साथ होगी ।।


बारिश की बूँदे सब मौज करेगी ।

बहती दरिया भी मदहोश करेगी ।

बादलों की तेज करवट होगी ।

जब तुम मेरे पास होगी ।।


सांसो से साज सजेंगे ।

रूह से हम बात करेंगे । 

नशे सी हालत होगी ।

जब तुम साथ होगी ।। 


रस बन बारिश की बूँदें बरसेगी ।

कलरव करती नदियाँ बहेगी ।

चहचहाती चिड़ियाँ भी गायेगी ।

जब तुम पास होगी ।।


शरद में सिहरन की, ग्रीष्म में आराम की ।

बारिश में भिगने की, बसंत में झूमने की ।

पतझड़ के पत्तों की, हर ऋतु में घूमने की ।

नई यादें, नई बातें होंगी, जब तुम साथ होगी ।।


हर दिन नया पाठ होगा ।

हर रात नया अध्याय होगा ।

हर भौर, शौर कर चिल्लायेगी ।

जब तुम साथ होगी ।।


Kavitarani1 

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