जब तुम साथ होगी, Jab tum sath hogi
Jab tum sath hogi - video dekhe
जब तुम साथ होगी
कोरी थी कोरी ही रह गयी कल्पना मेरी ।
गौरी थी, भौर ही रह गयी कल्पना तेरी ।।
फिर सोंच रहे फिर सुबह होगी ।
आनन्द की बहती दरिया होगी ।
प्रेम की तुम मेरे जरिया होगी ।
जब तुम मेरे साथ होगी ।।
बारिश की बूँदे सब मौज करेगी ।
बहती दरिया भी मदहोश करेगी ।
बादलों की तेज करवट होगी ।
जब तुम मेरे पास होगी ।।
सांसो से साज सजेंगे ।
रूह से हम बात करेंगे ।
नशे सी हालत होगी ।
जब तुम साथ होगी ।।
रस बन बारिश की बूँदें बरसेगी ।
कलरव करती नदियाँ बहेगी ।
चहचहाती चिड़ियाँ भी गायेगी ।
जब तुम पास होगी ।।
शरद में सिहरन की, ग्रीष्म में आराम की ।
बारिश में भिगने की, बसंत में झूमने की ।
पतझड़ के पत्तों की, हर ऋतु में घूमने की ।
नई यादें, नई बातें होंगी, जब तुम साथ होगी ।।
हर दिन नया पाठ होगा ।
हर रात नया अध्याय होगा ।
हर भौर, शौर कर चिल्लायेगी ।
जब तुम साथ होगी ।।
Kavitarani1
99
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें