जोर नहीं, Jor nhi
Jor nhi - click here to see video
लगातार चलते हुए कई बार थकान और निराशा में हम हतोत्साहित हो जाते हैं, ऐसे में मन से यही आवाज आती है कि अभी जोर नहीं।
जोर नहीं
होङ नहीं है, पर दौड़ है,
रवि आजकल अपने जोर में नी हैं,
था एकान्त कल, जोर में भी ये,
निकलता दिन इंतजार में ही ये,
पर आजकल कुछ पता न चलता,
मन इस जल्दबाजी में सिकुड़ता,
हर दम लगी रहती जैसे कुछ छुट रहा,
समय की कमी से दिन भी झूझ रहा,
कह रहा अब रवि सुन भी ले ।
सिहरन जाती नहीं तेरे आने से,
तो तु आ जल्दी और छा जल्दी रे।
होङ नहीं चाँद से कोई,
वो मध्यम था और है मध्यम ही,
तु ही था तेवर लिये,
तना रहता था पुरा दिन ही,
कैसे दिन अस्त करते हो जल्दी,
सब बोल रहे है चौबिस घण्टे,
पर अब रवि का जोर नहीं,
कुछ करें दिन बड़ा हो जाये,
नी तो मेंरे सपने में रहेगा सार वही,
बंद होगा फिर जोश भी,
अब कोई मुझ पर जोर नहीं,
तु भी रख ना जोर कोई।
Kavitarani1
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