मेरी सुबह खोई | meri subah khoi hui hai



Click here to see video

यहाँ सुबह का अर्थ है सफलता, अथक परिश्रम करते हुए जब राही अपने ईश्वर से प्रार्थना करता है तो उम्मीदों से भरा हुआ वो पुंछता है कि मेरी सुबह क्यों नहीं हुई। मेरी सुबह कहाँ है खोई हुई।

मेरी सुबह खोई 


भौर हो गई, चिड़ियाँ चहक रही ।

सारे तारे गुम हुए, रोशनी मुस्कुराई ।

हवायें शीतल है, ताजगी सब और है छाई  ।

मेरे मन की उदासी क्यों रह गई ।

कहाँ मेरी ताजगी है खोई ।

मेरी सुबह क्यों नहीं हुई ।।


था अँधेरा तब से जागा हूँ ।

मैं अभी आधा जागा, आधा सोया हूँ ।

आधी नींद और सपने लेकर ।

अभी भी खुशहाली की खोज में हूँ ।

कहाँ मेरी सुबह है सोई ।

क्यों ना मेरी सुबह होई ।।


साल बीत गये, जमाने बीते ।

रोज-रोज कर-कर काम दिन बीते ।

उम्र बीतीं, बचपन बीता, यौवन चरम पर है ।

जो देखे खिंचा आये, लगता तरोताजा है ।

फिर क्यूँ उदासी छाई, क्यों लगता है ।

मेरी सुबह नहीं होई ।।


होने दो सुबह मेरी, शाम तो होनी ही है ।

खुश रहने दो मुझे, उदास तो होना ही है ।

जैसे प्रकृति ले रही, अंगडाई मुझे भी लेने दो ।

मेरे जीवन पर छाया अँधेरा अब घटने दो ।

विनति मेरे प्रभू आपसे मन से ।

मेरी सुबह अब होने दो ।।


Kavitarani1 

152

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi