तुम खास हो, tum khas ho
तुम खास हो
लोग बहुत है कहने के लिये ।
वो समझते है बातों को भी ।
पास भी आते है वो ।
अपनी सुनातें भी है वो ।
पर मन सुनता है बस ।
लगता नहीं हर किसी से ।
कहना चाहता है ये सब से नहीं ।
जैसे चाहता है कहना तुझसे ही ।
क्योंकि तुम कुछ खास हो मेरे लिए ।
मेरे मन के जैसे पास हो ।
एक विश्वास सा है तुमसे ।
तभी कहता है मन तुमसे ।
और कोई इतना खास नहीं ।
जैसे कोई इतना पास नहीं ।
जैसे तुम हो उतना कोई पास नहीं ।
सबको छोड़ तुम्हें कहता है ।
ये मन है मेरा ही ।
ये तुझसे जुड़ा रहता है ।
क्योंकि तुम खास हो ।।
Kavitarani1
180
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें