तुम खास हो, tum khas ho



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तुम खास हो 


लोग बहुत है कहने के लिये ।

वो समझते है बातों को भी ।

पास भी आते है वो ।

अपनी सुनातें भी है वो ।

पर मन सुनता है बस ।

लगता नहीं हर किसी से ।

कहना चाहता है ये सब से नहीं । 

जैसे चाहता है कहना तुझसे ही ।

क्योंकि तुम कुछ खास हो मेरे लिए ।

मेरे मन के जैसे पास हो ।

एक विश्वास सा है तुमसे ।

तभी कहता है मन तुमसे ।

और कोई इतना खास नहीं ।

जैसे कोई इतना पास नहीं ।

जैसे तुम हो उतना कोई पास नहीं ।

सबको छोड़ तुम्हें कहता है ।

ये मन है मेरा ही ।

ये तुझसे जुड़ा रहता है ।

क्योंकि तुम खास हो ।।


Kavitarani1 

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