तुमसे मिलकर, tumse milkar


 

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तुमसे मिलकर


वो जो मदहोश कर देने वाली बातें हैं । 

कामना की सारी खुबसुरत जो रातें हैं । 

मंद मंद मुस्कान के जो राज समझ आते हैं ।

वो सब तुमसे ही मिल पाते है ।।


मेरी खोई खुशी और आते गम सारे ।

अधुरी रहती महफिल और गुम तारे ।

अकेलेपन का दुख और मायुसी सारी ।

तुमसे मिलते ही बदल जाते नजारे ।।


मेरे मन का बोझ हल्का होता ।

अब दुखड़े से मन मेरा ना रोता ।

खोया हुआ भी कहीं जाकर मिल जाता हूँ । 

अब तुम से मिलकर निखर जाता हूँ ।।


वो जो खिलखिलाहट वाली हँसी जो है । 

हर बात में मजाक और मस्ती जो है । 

अंजान जगह पर भी जो घुल मिल जाती है । 

मेरी बातें जब तुमसे मिलने की जो हो जाती है ।।


मेरी पूरी नींद की होती सुबह सारी ।

आधी मिली दुनिया लगती अब प्यारी ।

खालीपन अब खुद ही भरी महफिल लगती ।

जब तुमसे मिलने की बातें होती रहती ।।


मेरे आज का असर हो रहा । 

बढ़ती जिन्दगी में मैं रुक कर खिल रहा ।

समय के सार सा में तुम्हें चाहा करूँ । 

अब तुम्हे चाहने के साथ मिलने की दुआ करूँ ।।


Kavitarani1 

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