बढूँ मैं अपनी धून में / Badu main apni dhun mein



Click here to see video

जिन्दगी में जो खोना है वो अपना है और जो पाना है वो भी अपना है। एक सच्चे पथिक को अपनी धुन में ही आगे बढ़ना चाहिए। उसे दुनिया से ज्यादा कोई फर्क नहीं पङना चाहिए।

बढुँ मैं अपनी धून में 


मैं सत् पथ पर रत होकर,

 अपनी ठोकर से खुद उठकर,

चलूँ अपनी धून मैं, 

बढुँ मैं अपनी धून में ।।


मैं अथक, अर्पित तीर पर,

अपनी मर्ज़ी और अपनी जिद पर,

पाऊँ मंजिल आज मैं 

बढुँ मैं अपनी धून में ।।


मैं दूर कर अंधकार अपना,

कर करके बस काम अपना,

ज्योत बनूं अपनी धून में,

बढुँ मैं अपनी धुन में ।।


मैं राही अपने मार्ग का,

अपनी चाह का चुनाव करूँ, 

खुद की खुद ही राह चुनूँ, 

बढुँ मैं अपनी धून में ।।


मैं राही दुर का,

जाना है दूर तक,

पाना है अपनी मंजिल को, 

बढुँ मैं अपनी धून में ।।


Kavitarani1 

191

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi