भ्रमित सुबह है / Bhramit subah


 

Click here to see video

भ्रमित सुबह है 


भरी धुप में, दोपहर काटी है ।

साॅवन की फुहारों के साथ ही नहीं, 

आँधियों में राते गुजारी है ।

शीतल हवा को सुना है समझा है,

मैंने कड़ाके की शीत में सुबह गुजारी है ।

अब बदला मौसम है ।

सुहानी शाम है और शांत सुबह है ।

कैसे संभालू इन सबको,

मन में सवाल है ।

बातें बहुत, काम बहुत है ।

जीवन के उतार - चढाव के अनुभव बहुत है ।

इसी सब के साथ सोंच रहा हूँ, 

ये सुबह कैसे गुजारू ।

पढ़ने का मन नहीं, 

आगे बढ़ने का होंसला नहीं, 

रूकने का मन नहीं, 

काम दिन का और कुछ नहीं, 

कैसे, क्या करूं सवाल वही,

इस सुबह भी वही ।

मेरी सुबह भ्रमित है ।।


Kavitarani1 

174

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐ भारत के वीरो जागो / E Bharat ke veero jago

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

सोनिया | Soniya