ऐ जिन्दगी / E zindagi


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कवि मन यहाँ अपने जीवन को सजीव अन्य जन मान सम्बोधित करते हुए कह रहा है । अपनी बातों में वो जीवन से निवेदन कर रहा है।

ऐ जिन्दगी 


ऐ जिन्दगी !

तू हॅसकर गुजर, 

गुजारिश है ये ।

आरजू है ये की तू खुश रहा कर ।

जहाँ मे आस कर रहा,

कर काम कर ।

दुखों की सोचना कम कर ।

खुशी की बात कर ।

ऐ जिन्दगी !

तू यादगार बन ।

कोई लिखे जब तेरे बारे में  ।

जीना चाहे तुझे ।

जब कोई सुने तुझे ही ।

मेरी बात पर गौर कर ।

ऐ जिन्दगी तू मजेदार बन ।

जीना है तो जी ।

हर किसी के लिये ना मर ।

जो मिल रहा उसमें संतोष कर ।

जो नही मिल रहा,

 उसकी परवाह ना कर ।

ऐ जिन्दगी तू अपनी बात कर ।

जैसे भी दिन हो ।

हॅसकर चल ।।


Kavitarani1 

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