मैं बिन तेरे | main bin tere


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मैं बिन तेरे


रोज नयी तस्वीरें,

रोज नये किस्से आ रहे ।

नये-नये बधंनो में लोग बंधे जा रहे ।

कैसे रह रहे ख्वाब अधूरे मेरे,

मैं जी रहा बिन तेरे ।


खतायें पता नहीं, 

जिसके लिये माफि माँगू, 

शिकायतें है, क्यूँ मैं अकेला रहूँ ?

दरखास्त रहती कब सुकून की नींद हो,

कब मैं भी जीऊँ, 

अभी क्यों मैं बिन तेरे ।


पहले मौज करता था,

दुसरों की शादी में खोज करता था,

आज जैसे दर्द  हो,

मेरे अंदर को टटोल रहे हो,

क्योंकि अभी हूँ मैं बिन तेरे ।


सुबह को मिस करता हूँ,

नामों को भूला करता हूँ, 

रातों को खालीपन महसूस करता हूँ, 

दिन को बैचेन रहता हूँ, 

मैं बिन तेरे । 


स्वाद खाने का बिगड़ गया,

सजना सँवरना छुट गया,

बढ़ाई पर कोई ध्यान नहीं, 

किसी की चाह और रही नहीं, 

दिन की चाह और रही नही,

दिन कट रहे और साँसे चल रही,

मैं बिन तेरे, और तेरे बिन रही जिन्दगी ।।


Kavitarani1 

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