समझा ना पाऊँ मैं / samjha na pau main
समझा ना पाऊँ मैं
एक बैंचेन मन,
एक उलझी जिन्दगी,
अधुरी सी खुशियों में,
मुस्कुरा ना पाऊँ मैं,
क्या बीत रही मुझ पे,
समझा ना पाऊँ मैं ।
अन-चाही ख़्वाहिशें,
उलझा हुआ कल,
अधुरी आस में जीता मैं,
हँसना चाहूँ आज मैं,
कल पर रोता जाऊँ मैं,
क्या व्यथा है मेरी,
समझा ना पाऊँ मैं ।
टुटे से रिश्ते,
प्रताड़ित बचपन में,
दोखों के दोस्तों में,
स्वार्थी आज में रहता में,
सपने पुरे करूँ,
पर इनकी परवाह कर जाऊँ मैं,
है कैसा मन मेरा,
समझ ना पाऊँ मैं ।
एक प्यार की प्यास,
सच्चे साथी की तलाश,
एक जीवन सार,
सब पाना चाहूँ मैं,
मन का उलझा मन की,
समझा ना पाऊँ मैं ।।
Kavitarani1
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