सपनें मेरे / sapne mere



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असमंझस सी है जिन्दगी, कभी हार तो कभी जीत है जिन्दगी। हार से हमें रुकना नहीं, और जीत से ज्यादा प्रभावित होना नहीं। जीवन में और करना क्या, एक सपना देखना है और उसे पूरा करना है।

सपनें मेरे 


सपनें मेरे, 

कभी लगता है मिल जायेंगे, 

कभी लगता है नहीं मिलेंगे,

कभी पाने को उन्हें भागता हूँ, 

कभी ना चाहे तो भी ताड़ता हूँ, 

सपने मेरे...

औझल करने वाले मुझे ही,

एक छोर टिकते ही नहीं, 

कभी सबके मन पर छाने के, 

कभी अधिकारी बन जाने के,

कभी समाज सेवी बनने के, 

कभी आराम की जिन्दगी जीने के, 

एक हो तो जानूं इन्हें, 

रूके कुछ पल तो जानूं इन्हें, 

अनकहे - अनसुने सारे,

आ जाते बन बहानें,

सपने मेरे ।

संतोष मिले पाकर इन्हें, 

आशा की किरण आये,

बन मृगतृष्णा से,

मेरी आँखों पर छाये,

हाय किस्मत मेरी,

ले जाती कहाँ मुझे, 

और सपने मेरे, 

दौड़ाते फिरते मुझे ।

सपने मेरे  ।।


Kavitarani1 

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