खिंच ना तार | Khinch na taar
खिंच ना तार
मोहब्बतां के तार ना खिंच कुड़िये,
सुर मेरा बिगाड़ दिया है ।
आँख विच सुरमां चढ़ाके छोरिये,
आशिक का दिल मार दिया है ।
होती दूरियाँ मन समझ रहा,
दूरियाँ ना किस्सा सुनादे बलिये ।
मोहब्बतां के तार ना खिंच सोनिये,
दिल दा गिटार टुट रहा है ।
चाहिए ना कुछ-कुछ ना देवे,
मिठ्ठा-मिठ्ठा बोल सुनादे माही वे ।
हुण रेण दे गले लगना,
छुने की कोई गल रहन दे ।
होंठा नू लगा के रंग गोरिये,
प्यारी सी मुस्कान दिखा दे बलिये ।
गलती होवी जो माफ करिजें,
बोरियत मेरी तू भूल जा सोनिये ।
देख मोहब्बत का खुमार छोरिये,
ला के दूँ जो मांगे एक बार बोलिये ।
रूठ ना बेवजह ऐसे तू ,
गलती हो तो सुना छोरिये ।
मोहब्बतां के गिटार नूं बजा कुड़िये,
मधुर धुन तू बना दे सोनिये ।
खिंच ना मोहब्बतां के तार ज्यादा तू,
सुर नूँ चलने दे प्यार भरे सोनिये ।।
Kavitarani1
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