क्यों हम मिले नहीं | Kyon hum mile nahi




क्यों हम मिले नहीं 


कितने साल बित गये दोनों को बात करते-करते ?

क्यों एक दिन साथ ना बिताया है ?

कितने महिने बित गये दोनों को प्यार का इजहार करते-करते ?

क्यों रह जाता सफर अकेले में ?

जब वादे होते साथ-साथ जाने के ।

कुछ सवाल बने रह गये मेरे ।

क्या इनका जवाब तुम्हारे पास है !

मैं अकेला अपनी धुन का चलता आया हूँ ।

पतझड़, सावन, बसंत, बहार के मौसम देखते आया हूँ ।

कोई मौसम मन का साथ किसी के गुजरा नहीं ।

सोंच रहाँ हूँ इस बार कहीं चलें और चलो तुम भी ।

क्या छुपा रह गया जो तुमने बताया नहीं ?

क्या कोई राज रह गया कहीं राज ही ?

क्यों इतने सालों बाद भी हम है जैसे नये ही ।

बातों में भी दिखती नहीं गहराई हीर रांझे सी ।

कहीं रोमियों-जुलियट बनने का ख्वाब नहीं ।

ना सोनी-महिवाल की मैंने बात कही ।

एक ही जिंदगी पास तेरे-मेरे ।

फिर क्यों हम कभी मिलते नहीं ।

कितनी इच्छायें रह गयी मन में मेरे ।

कितनी बातें आई और अब गुम गई ।

कब वो स्पर्श याद रहेगा मुझे ।

जो कभी कहते-कहते तुम हॅसी थी ।

बात मन में अब सवाल बनी है ।

क्यों इतने साल बाद भी हम मिले नहीं  ।।


Kavitarani1 

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