तेरी कमी है | Teri Kami hai




तेरी कमी है 


शब्दों की माला में,

 प्यार के फुलों की कमी है ।

मेरे गीतों की लत में, 

तेरे अश्रों की कमी है ।

यूँ तो कई अफसानें हैं मेरे, 

पर सबमें तुझसे जज्बातों की कमी है ।

मेरी जिन्दगी की बसंत अधुरी है,

 मेरी बारिश में बुँदों की कमी है ।

मेरे गालों की नमी में, 

बस तेरी कमी है ।।


साँझ का सुरज निहारे, 

क्षितिज में तेज की कमी है ।

भौर की दौड़ पुकारे, 

दिन में होंसले की कमी है ।

यूँ तो भरे पड़े है सपनें कई, 

पर आशा की मध्यम होती जोत में ईधंन की कमी है ।

मेरी जीवनवृत की कहानियों में, 

पूर्णांक और सार की कमी है ।

अधुरी रही ख़्वाहिशों की तह में,

 बस तेरी कमी है ।।


पथरीले रास्तों में, 

जोश की कमी है ।

अँधेरी रातों में, 

साहस की कमी है ।

तेज धूप वाले दिनों में, 

तेरे आँचल की कमी है ।

मेरे बेबाक बोल में, 

तेरी सटीकता की कमी है ।

मेरे मंजिल के पाने पर भी,

बस तेरी कमी है ।।


एकान्त, शांत मन बोझिल जो अहसास तेरी कमी है ।

उदास, क्लाँत मन भारी जो ज्ञात तेरी कमी है ।

हताश,भ्रांत मन चोटिल जो जान तेरी कमी है ।

यूँ तो सब है होने को साथ,

पर जब हो एकान्त तो लगता कुछ तो कमी है ।

शब्दों में करता बखान ये जान की बस तेरी कमी है ।

बस एक तेरी कमी है ।।


Kavitarani1 

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