बदलता समय | Badalata samay



बदलता समय 


शक्लें बदल जाती है एक समय बाद को,

और लोग आइनें को दोष देते है ।

बोझ लिये चलते है लोग कई सारा अपने मन पर,

और दुसरों की कमियाँ देखा करते हैं ।

एक प्रेम की प्यासी दुनिया सारी,

और लोग दुसरों की खुशियों से जलते है ।।


एक दिया जलता अंधेरा मिटाने को,

और बेमतलब के पंतगे आ गये जलने को ।

रोशन हुआ जग भला ! जली दिया की बाती क्यों !

आरोप लगाया रोशनी वालों ने जला दीया तू क्यों !

कर भला की कहे-कहे जग बुरे बोल,

अपनी धुन में जला दीया, जले इसमें जो ।।


मन की आयी हर बात बदली,

और लोग कसते ये बदला क्यों !

संवेगो के वेग बदलते रहते,

और कहे जग ये बदला क्यों  ?

समझाना चाहे जिसे जितना वो समझे ना,

रहे जिसे जैसे, रहे मन पर बोझ क्यों ?


Kavitarani1 

209

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi