एक मैं अकेला | Ek main akela
एक मैं अकेला
बादलों का काँरवाँ, जा रहा है कहीं ।
पक्षियों का समूह, गा रहा है कहीं ।
कहीं से आवाजें आ रही हवाओं की ।
और मैं बैठा अकेला सुन रहा अकेला ही ।।
मैं सुन रहा हूँ गुजारिशें ।
बादलों से आ रही बारिश की बुँदे ।
पेड़ो से पत्तिय की आवाजें ।
गुनगुना रही पेड़ों की साखे ।
एक मैं अकेला बैठा हूँ,
सुन रहा हूँ मन के शौर को ।
आवाजें बाहर है, है अंदर बहुत ।
कहूँ किससे क्या है मुझसे दूर ।।
देख रहा हूँ जाते बादल ।
आता सुरज, जाते बादल ।
दिख रहा पेड़ो की शाखों पर पक्षी,
उड़ते पंतगे और हवायें ।
एक मैं बैठा अकेला देख रहा ।
गुजारिशे मन से खुद करता ।।
बारिश की बूँदें हल्की हुई है ।
अब आवाजें पक्षियों की बढ़ सी गई है ।
हवा है नम और बादलों के झुंड ।
एक मैं अकेला बुन रहा गुन ।
एक मैं अकेला बैठा हूँ यहाँ ।।
Kavitarani1
304

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें