गुजारिश है | Gujarish hai
गुज़ारिश है
कुछ बारिश की बूँदें छु ली मैंने ।
खयालों की बारिश जी ली मैंने ।
वो मुलाकातें अधुरी भले है ।
सपनों की सेज पर गुजारिश ये है ।।
तु मिले मुझको जब भी जहाँ भी ।
हॅस के जी ले जो हो बारिश ।
छु ले मन को तेरी आहट ।
जैसे है तन पर बारिश की राहत ।।
ये सावन तो नहीं है ।
ये बारिश सही है ।
ये सपने वही है ।
और मैं कहीं जी रहा हूँ ।।
आज भी तु मुझमें छुपी है कही तो ।
तेरी चाहत रहती मुझमें कहीं तो ।
बारिश-ठण्ड कसती आती रहती ।
तेरी झलक मुझसे मिलती रहती ।।
कहीं तो बुँदे मुझमें समायी ।
मध्यम सी आहट तेरी भायी ।
बिन मौसम छाये बादल मुझपे ।
तु कहीं से आ ही गयी गयी है ।।
जैसे भीगा है कागज बुँदो से आज ।
जग रही है वैसे मिलन की आस ।
रास आ रहा है यूँ भीगना भी मुझे ।
गुजारिश तु आ जाने कहीं से ।।
गुजारिश है ये तु आ जाये कहीं से ।
गुजारिश है ये बारिश बीगा दे फिर से ।।
Kavitarani1
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